gajeravidyabhavanguj
शिक्षा में नाटक का महत्व
शिक्षण के साथ जो वर्ग में प्रवृत्ति शामिल हो तो वर्ग जीवंत लगता है| हर कोई नत्यात्मक इकाई-३ छात्र नाटक द्वारा प्रस्तुत कराने से वह अच्छी तरह से और सरल एवं स्वाभाविक ढंग से समझ सकते हैं| हर कोई छात्रों में सुषुप्त शक्तियां छिपी हुई है| बस उसे पहचानने की सूज शिक्षक में चाहिए| शिक्षक वह कराकर है, जो छात्र को जानकर उसके भीतर हुई शक्ति को पहचान कर छात्र को अपनी बुद्धि के अनुसार छात्र उसे चित्रित करता है और उसे आगे बढ़ाता है|
नाटक से के द्वारा विषय वस्तु को सही ढंग से निरूपण कर सकते हैं| छात्र लंबे समय तक उसे याद रख सकते हैं| नाटक द्वारा पढ़ाने से शिक्षक और छात्रों के बीच विनिमय की प्रक्रिया होती है, मुझे छात्रों को पढ़ाने में भी बहुत मजा आता है|
नाटकीय कला शिक्षा, समस्या, समाधान में रचना को उत्तेजित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है| इकाई-३ लेखक ने अपने स्वामी के प्रति जानवर की वफादारी को उजागर किया है| कभी-कभी जल्दबाजी में काम करने से पछताने की नौबत आ जाती है| या छात्रों को अपने विश्व के बारे में बता सकते हैं| नाटकीय अन्वेषण छात्रों को भावनाओं विचारों और सपनों के लिए एक अपना आत्मविश्वास प्रदान कर सकता है| जिसके पास अन्यथा व्यक्त करने का साधन नहीं हो सकता है|
इस नाटक के माध्यम से कुत्ता अपने मालिक को कैसे वफादार रहता है| इस नाटक द्वारा छात्रों ने अपना भाव व्यक्त किया है|
उपयुक्त हैतू को सार्थक करनेके उद्देश्य से ही कक्षा-७ विषय हिंदी में इकाई-३ कुत्ते की वफादारी नाटक प्रस्तुत किया गया है|